۲۵ آبان ۱۴۰۳ |۱۳ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 15, 2024
علامہ جواد نقوی

हौज़ा / तहरीक ए बेदार ए उम्मत ए मुस्तफ़ा के सरबराह का कहना था कि हैरत की बात है कि पाकिस्तान जैसे मुल्क में दीन के हवाले से जज़्बात रखने वाले लोग भी खामोशी की चादर ओढ़े हुए हैं। सियासी और मज़हबी अकाबिर फरकावारियत के नाम पर हंगामे तो बरपा कर सकते हैं, लेकिन जब मजलूम फ़िलस्तीनीयों का ज़िक्र आता है तो उनके सिरों पर परिंदे बैठ जाते हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,तहरीक-ए-बेदार-ए-उम्मत-ए-मुस्तफा के प्रमुख आलिम सैयद जवाद नकवी ने कहा है कि ग़ज़ा और लेबनान में लाशों के बीच खड़ी होकर रोने वाली बेबस महिलाएं और यतीम होने वाले मासूम बच्चे मुस्लिम उम्मत से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी पुकार सुनने वाला कोई नहीं है।

एक कौम के रूप में मुस्लिम समुदाय को एकजुट होकर ज़ुल्म और बर्बरता की दर्दनाक कहानियां लिखने वाले कलम को तोड़ना होगा उन्होंने कहा कि इस दौर की कर्बला में जो भी अत्याचार के खिलाफ आगे नहीं बढ़ेगा, उसे भी ज़ालिमों में गिना जाएगा।

इन विचारों का इज़हार उन्होंने तहरीक-ए-बेदार-ए-उम्मत-ए-मुस्तफा के ज़ेर-ए-एहतमाम जोहराबाद के एक स्थानीय होटल में लब्बैक या ग़ाज़ा लब्बैक या फ़लस्तीन के शीर्षक से आयोजित एकता-ए-उम्मत सम्मेलन में बतौर अध्यक्ष किया।

सम्मेलन में सभी विचारधाराओं के विद्वानों, मस्जिदों के इमामों, राजनीतिक और धार्मिक नेताओं समेत हजारों लोग शामिल हुए।

सैयद जवाद नकवी ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि पाकिस्तान जैसे देश में जहां लोग मज़हब को लेकर भावनाएं रखते हैं वहां भी चुप्पी साधी हुई है। राजनीतिक और धार्मिक नेता फ़िरकापरस्ती के नाम पर हंगामा खड़ा कर सकते हैं, लेकिन जब बात मजलूम फ़लस्तीनियों की आती है तो सब मौन हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि अरब देश हमास और हिज़बुल्लाह से भी ज्यादा अमेरिका और इस्राइल के दुश्मन हैं। यही देश इस मानव त्रासदी में अमेरिका और इस्राइल के सहायक हैं क्योंकि उनकी योजनाएं, हित और सुरक्षा प्रतिरोधी आंदोलनों के खात्मे और इस्राइल के समर्थन से जुड़ी हुई हैं।

उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान में धार्मिक और राजनीतिक नेतृत्व भी ज़ायोनी ताकतों का उपकरण बना हुआ है जो 13 महीनों में हर मुद्दे पर हंगामा खड़ा कर सकती है लेकिन इस मुद्दे पर बोलने से कतराती है।

एक फ़िरकापरस्त समूह ग़ज़ा से उदासीन रहने का बाकायदा पाठ पढ़ाता है ताकि ग़ज़ा के बचने का श्रेय किसी और को न मिल सके।

आलिम सैयद जवाद नकवी ने कहा कि इस्लाम विरोधी ताकतें मुस्लिम समुदाय की एकता से डरी हुई हैं इसलिए वे फूट डालने का हथियार इस्तेमाल कर मुसलमानों को एकजुट नहीं होने देतीं। हमें परिस्थितियों की गंभीरता को समझते हुए सभी भाषाई और शाखाई मतभेदों को भुलाकर खुद को एकता की डोर में पिरोना होगा।

सम्मेलन में अता उल्लाह चौधरी, मौलाना फिदाउर्रहमान, राना सलीमुर्रहमान समेत अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया।

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